Nuclear Magnetic Resonance
NMR (नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद) परिचय:
Nuclear Magnetic Resonance : NMR का सिद्धांत नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद (NMR) पर आधारित है। 1946 में फेलिक्स ब्लोच और एडवर्ड परसेल ने स्वतंत्र रूप से नाभिकीय चुंबकीय प्रतिध्वनि (NMR) का सिद्धांत विकसित किया। NMR पर आधारित तकनीकों से विभिन्न रासायनिक यौगिकों की संरचना और गतिशीलता के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
Nuclear Magnetic Resonance : NMR सिद्धांत:
NMR पर आधारित तकनीक से किसी यौगिक में मौजूद नाभिकीय चुंबकीय क्षणों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। इसमें रेडियो तरंगों और चुंबकीय क्षेत्रों के उपयोग से नाभिकीय चुंबकीय प्रतिध्वनि उत्पन्न होती है, जिसे स्पेक्ट्रोमीटर द्वारा मापा जाता है। यह तकनीक रासायनिक संरचना और यौगिकों के गतिशील अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
Nuclear Magnetic Resonance : NMR स्पेक्ट्रोस्कोपी का कार्य:
NMR स्पेक्ट्रोस्कोपी का मुख्य उपयोग नाभिकीय नाभिकों के अध्ययन में होता है। आमतौर पर, ^1H, ^13C, ^15N आदि नाभिकों का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा, कार्बनिक यौगिकों में कुछ अन्य तत्वों के नाभिकों की गूंज भी मापी जाती है।
NMR सक्रिय तत्व: – NMR सक्रिय तत्व: परमाणु/इजोटोप जिनके पास आधा (1/2) Nuclear spin quantum number है, जैसे ^1H, ^13C, आदि। –
NMR निष्क्रिय तत्व: परमाणु/इजोटोप जिनके पास पूर्णांक Nuclear spin quantum number है, जैसे ^12C, ^16O, आदि। नोट: केवल NMR सक्रिय नाभिक → नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद उत्पन्न करते हैं।
नाभिकीय प्रोटॉन: Nuclear Magnetic Resonance : NMR स्पेक्ट्रोस्कोपी में प्रोटॉन (परमाणु नाभिक) + धनात्मक चार्ज पर अध्ययन किया जाता है।
आवश्यक शर्तें: Nuclear Magnetic Resonance : NMR
1. नाभिकीय प्रोटॉन की गूंज NMR सक्रिय नाभिकों से उत्पन्न होती है। 2. परमाणुओं की बाह्य कक्षा (outer shell) में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की गूंज NMR निष्क्रिय नाभिकों से उत्पन्न होती है।
ध्रुवीय अवलोकन:
नाभिक ब्लॉक चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, जो चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगों के प्रभाव से प्राप्त होता है। यह गूंज ‘रिसीवर कॉइल’ के माध्यम से प्राप्त की जाती है, जो हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या पर निर्भर करती है। इसे MRI स्पेक्ट्रोमीटर द्वारा पढ़ा जाता है।
आवृत्ति अवलोकन (NMR का भाग): – आवृत्ति अवलोकन: रासायनिक संरचना और यौगिकों के गतिशील अध्ययन में उपयोगी।
– उपयोग: रासायनिक संरचना, यौगिकों की गतिशीलता, और विभिन्न यौगिकों की संरचनात्मक पहचान में NMR का उपयोग होता है।
उपयोग:
1. चिकित्सा क्षेत्र में: NMR स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग MRI (चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग) में किया जाता है। यह तकनीक उच्च गुणवत्ता वाली छवियों के लिए प्रयोग होती है, जो शरीर के अंदरूनी अंगों की संरचना का पता लगाने में सहायक होती है।
2. रासायनिक क्षेत्र में: रासायनिक यौगिकों की संरचना और गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए।
3. औद्योगिक क्षेत्र में: विभिन्न यौगिकों के गुणों और संरचनाओं का विश्लेषण करने में सहायक।
निष्कर्ष: NMR तकनीक न केवल चिकित्सा क्षेत्र में बल्कि रासायनिक और औद्योगिक क्षेत्रों में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह तकनीक विभिन्न यौगिकों की संरचना और गतिशीलता का विस्तृत अध्ययन करने में सक्षम है, जिससे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान में इसका उपयोग बढ़ता जा रहा है।