Internal Assignment – B.A. History
आंतरिक मूल्यांकन- बी.ए. इतिहास
VMOU BA 1ST YEAR HISTORY Assignment
HI-02: History of Rajasthan – Earliest Times to 1956 AD
राजस्थान का इतिहास – प्रारंभ से 1956 तक
Max Marks: 30
Note: The Question paper is divided into three sections A, B, and C. Write answers as per the given instructions.
यह प्रश्न पत्र ‘A’, ‘B’ और ‘C’ तीन खंडों में विभाजित है। प्रत्येक खंड के निर्देशानुसार प्रश्नों का उत्तर दीजिए।
Section-A (Very Short Answer Type Questions)
अति लघु उत्तर वाले प्रश्न
Note: Answer all questions. As per the nature of the question, you delimit your answer in one word, one sentence, or maximum up to 30 words. Each question carries 1 mark.
सभी प्रश्नों का उत्तर दीजिए। आप अपने उत्तर को प्रश्नानुसार अधिकतम 30 शब्दों में परिसीमित कीजिए। प्रत्येक प्रश्न 1 अंक का है।
- (i) निम्नलिखित किताबों के लेखक के नाम लिखिए:
- (अ) मुहता नैणसी री ख्यात
- मुहता नैणसी
- (बी) वीर विनोद
- शामलदास
- गुजरात, भारत
- (iii) अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर हमला कब किया था?
- 1303 ई.
(iv) हल्दीघाटी का युद्ध कब लड़ा गया था? - 1576 ई
. (v) भारत में चिश्ती सिलसिला किसने स्थापित किया? - ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती
(vi) हुरड़ा सम्मेलन कहाँ और कब आयोजित किया गया था? - हुरड़ा, 1734 ई.
Section-B (Short Answer Questions)
लघु उत्तर वाले प्रश्न
Note: Answer any four questions. Each answer should not exceed 100 words. Each question carries 3 marks.
नोट: निम्नलिखित में से किसी 4 प्रश्नों के उत्तर दीजिए। आप अपने उत्तर को अधिकतम 100 शब्दों में परिसीमित कीजिए। प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है।
- हड़प्पा संस्कृति पर एक लेख लिखिए।
- हड़प्पा संस्कृति, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख हिस्सा है, जो 2600-1900 ईसा पूर्व के बीच विकसित हुई। यह सभ्यता मुख्यतः आधुनिक पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिमी भारत में स्थित थी। हड़प्पा संस्कृति अपने उन्नत नगर नियोजन, जल निकासी प्रणाली, पक्की ईंटों से बने मकानों, और लिपि के लिए जानी जाती है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो इसके प्रमुख स्थल हैं। यह सभ्यता कृषि, व्यापार, और कारीगरी में भी उन्नत थी।
- राजस्थान के प्रागैतिहासिक कालीन जीवन पर प्रकाश डालिए।
- राजस्थान के प्रागैतिहासिक काल में लोग मुख्यतः गुफाओं और शैलाश्रयों में रहते थे। भीमबेटका और दर्रा जैसे स्थल प्रागैतिहासिक चित्रों के लिए प्रसिद्ध हैं। इस काल में लोग शिकार, मछली पकड़ने और फलों के संग्रह पर निर्भर थे। पत्थर के औजार और उपकरणों का उपयोग किया जाता था। धीरे-धीरे खेती की शुरुआत हुई और स्थायी बस्तियाँ बसने लगीं।
- खानवा युद्ध के क्या परिणाम निकले?
- खानवा का युद्ध 1527 में बाबर और राणा सांगा के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में बाबर की विजय हुई। इस विजय ने बाबर की स्थिति को उत्तर भारत में मजबूत किया और मुगल साम्राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया। राणा सांगा की हार से राजपूत संघ की शक्ति कमजोर हो गई और मुगलों का वर्चस्व स्थापित हुआ।
- बिजोलिया आंदोलन में विजय सिंह पथिक की भूमिका बताइए।
- विजय सिंह पथिक बिजोलिया किसान आंदोलन के प्रमुख नेता थे। उन्होंने किसानों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और अत्याचारी भू-राजस्व नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। पथिक ने किसानों को संगठित किया और उन्हें अपने अधिकारों के प्रति जागरूक किया। उनके नेतृत्व में आंदोलन ने सरकार पर दबाव डाला और कई सुधार लागू किए गए।
- कोटा के लाला जयदयाल एवं मेहराब खान के बारे में लिखिए।
- लाला जयदयाल और मेहराब खान कोटा के स्वतंत्रता सेनानी थे। लाला जयदयाल ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया और अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किए। मेहराब खान कोटा के एक प्रमुख नेता थे जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दोनों ने अपने संघर्ष और त्याग से कोटा में राष्ट्रीय आंदोलन को मजबूत किया।
Section-C (Long Answer Questions)
दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न
Note: Answer any two questions. You have to delimit your each answer maximum up to 400 words. Each question carries 6 marks.
नोट: निम्नलिखित में से किसी 2 प्रश्नों का उत्तर दीजिए। आपको अपने प्रत्येक उत्तर को अधिकतम 400 शब्दों में परिसीमित करना है। प्रत्येक प्रश्न 6 अंक का है।
- राजस्थान इतिहास के गैर-फारसी स्रोतों के बारे में लिखिए।
- राजस्थान के इतिहास के गैर-फारसी स्रोतों में मुख्यतः संस्कृत, अपभ्रंश, प्राकृत, और स्थानीय भाषाओं के साहित्यिक कार्य शामिल हैं। इनमें प्रमुख ग्रंथ हैं:
- संस्मरण: राजस्थानी कवियों और लेखकों द्वारा लिखे गए ग्रंथ, जैसे ‘रासो’ साहित्य। पृथ्वीराज रासो, दलपतविलास, और खुमाण रासो महत्वपूर्ण ग्रंथ हैं।
- लौकिक साहित्य: लोकगीत, लोककथाएं, और भाटों-चारणों द्वारा रचित कविताएं। ये स्रोत राजस्थान के सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक जीवन को समझने में सहायक हैं।
- जैन साहित्य: जैन मुनियों द्वारा रचित ग्रंथ, जैसे हेमचंद्राचार्य द्वारा रचित ‘त्रिशष्टिशलाका पुरुष चरित्र’।
- शिलालेख: राजस्थान के विभिन्न स्थलों पर मिले संस्कृत और प्राकृत भाषा में शिलालेख, जो राजवंशों की वंशावली, युद्ध, और निर्माण कार्यों का विवरण देते हैं।
- शेर शाह के विरुद्ध मालदेव की हार के कारण एवं परिणामों का विश्लेषण कीजिए।
- मालदेव राठौड़, जोधपुर के राजा, ने 1544 में शेर शाह सूरी के खिलाफ युद्ध लड़ा। इस युद्ध में मालदेव की हार के प्रमुख कारण थे:
- धोखा और भ्रम: शेर शाह की चालाकी और कूटनीति, जिसने मालदेव के सैनिकों में भ्रम और अविश्वास पैदा किया।
- सैनिक बल का अभाव: शेर शाह की विशाल सेना के सामने मालदेव की सेना कमजोर पड़ गई।
- आंतरिक विवाद: मालदेव के राज्य के आंतरिक विवाद और विद्रोह भी उसकी हार का कारण बने।
- राजनैतिक: मालदेव की हार से शेर शाह सूरी का वर्चस्व बढ़ा और उसने राजस्थान के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया।
- सामाजिक: इस हार ने राजपूत शक्ति को कमजोर कर दिया और क्षेत्रीय स्वतंत्रता पर प्रभाव डाला।
- आर्थिक: युद्ध के कारण राज्य की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई और जनता पर कर का बोझ बढ़ गया।
- मध्यकालीन राजस्थान में सूफी आंदोलन के बारे में बताइए।
- मध्यकालीन राजस्थान में सूफी आंदोलन का महत्वपूर्ण स्थान था। सूफी संतों ने अपने उपदेशों से धार्मिक सहिष्णुता, प्रेम, और आध्यात्मिकता का संदेश फैलाया। प्रमुख सूफी संतों में ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती (अजमेर), शेख हमीदुद्दीन नागौरी, और शेख सलिम चिश्ती शामिल हैं। सूफी संतों के दरगाहों पर हर धर्म और जाति के लोग आस्था और श्रद्धा के साथ आते थे। सूफी संतों ने समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और एकता की भावना को बढ़ावा दिया और उनकी शिक्षा आज भी प्रासंगिक है।
- मीरा बाई पर एक लेख लिखिए।
- मीरा बाई, 16वीं शताब्दी की एक महान भक्त कवयित्री थीं, जिन्होंने अपने आराध्य भगवान कृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। मीरा का जन्म राजस्थान के मेड़ता नगर में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन को कृष्ण भक्ति में समर्पित कर दिया और अनेक पद और भजन रचे। उनके पदों में प्रेम, भक्ति, और आध्यात्मिकता की गहराई दिखाई देती है। मीरा बाई का जीवन संघर्ष और त्याग का प्रती
क है। उन्होंने समाज के रूढ़िवादिता और प्रताड़ना का सामना करते हुए अपने भक्ति मार्ग को अपनाया और कृष्ण के प्रति अपनी अनन्य भक्ति को व्यक्त किया। मीरा बाई के भजन और कविताएं आज भी भारतीय संगीत और साहित्य का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।