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vmou ba part 01 हिंदी पद्धति भाग-1 (प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य) Paper Code: HD-01

Paper Code: HD-01

Paper Name: हिंदी पद्धति भाग-1 (प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य)

Section-A (Very Short Answer Type Questions)

  1. आदिकालीन काव्य की चार विशेषताएँ लिखिए।
  • उत्तर:
    • धर्मपरायणता
    • वीरता
    • राजाश्रय
    • ब्रज भाषा का प्रयोग
  1. पृथ्वीराज रासो की दो भाषागत विशेषताएँ लिखिए।
  • उत्तर:
    • वीर रस की प्रधानता
    • अपभ्रंश भाषा का प्रयोग
  1. कबीर की वाणी किस ग्रंथ में संगृहीत है?
  • उत्तर: “बीजक” में
  1. भक्तिकाल की चार मुख्य कृतियों के नाम लिखिए।
  • उत्तर:
    • रामचरितमानस
    • सूरसागर
    • सखी ग्रंथ
    • विनय पत्रिका
  1. मर्गीत से क्या आशय है?
  • उत्तर: संगीत का वह प्रकार जिसमें प्रकृति का वर्णन होता है।
  1. रसखान के काव्य की दो विशेषताएँ बताइए।
  • उत्तर:
    • कृष्ण भक्ति
    • सरल एवं सहज भाषा

Section-B (Short Answer Questions)

  1. भारत में मानव संसाधन विकास पर एक नोट लिखें।
  • उत्तर: भारत में मानव संसाधन विकास के मुख्य उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य, और कौशल विकास के माध्यम से व्यक्तियों की क्षमता को बढ़ाना है। इसके तहत शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा, और स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता शामिल है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं जैसे “स्किल इंडिया मिशन” और “राष्ट्रीय शिक्षा नीति”।
  1. भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश क्यों माना जाता है?
  • उत्तर: भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश माना जाता है क्योंकि यहां युवा जनसंख्या का प्रतिशत उच्च है। युवा कार्यबल की उपलब्धता से आर्थिक विकास की संभावनाएं बढ़ती हैं। युवा जनसंख्या के अधिक होने से श्रम शक्ति में वृद्धि होती है और उत्पादन क्षमता बढ़ती है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
  1. तुलसीदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  • उत्तर: तुलसीदास के काव्य की सामान्य विशेषताएँ हैं:
    • भक्ति रस की प्रधानता
    • सरल एवं सजीव भाषा का प्रयोग
    • धार्मिक और नैतिक शिक्षा का समावेश
    • रामकथा का विस्तृत वर्णन
  1. केशव को कठिन काव्य का श्रेष्ठ क्यों कहा गया है?
  • उत्तर: केशव को कठिन काव्य का श्रेष्ठ इसलिए कहा गया है क्योंकि उनके काव्य में गूढ़ एवं जटिल शब्दावली का प्रयोग होता है। उन्होंने अलंकारों और काव्य शास्त्र के नियमों का पालन करते हुए कठिन शब्दों और संरचनाओं का उपयोग किया, जो पाठकों के लिए समझना चुनौतीपूर्ण होता है।

Section-C (Long Answer Questions)

  1. पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता अथवा अप्रामाणिकता को तर्क सहित सिद्ध कीजिए।
  • उत्तर: पृथ्वीराज रासो की प्रमाणिकता पर विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह ग्रंथ वास्तव में पृथ्वीराज चौहान के जीवन पर आधारित है और इसमें ऐतिहासिक तथ्यों का वर्णन है। जबकि अन्य विद्वानों का कहना है कि इसमें कई काल्पनिक और अतिशयोक्तिपूर्ण विवरण हैं, जो इसे अप्रामाणिक बनाते हैं। प्रमाणिकता के पक्ष में इसका रचयिता चंदबरदाई का पृथ्वीराज के समकालीन होना और कई घटनाओं का ऐतिहासिक रूप से सत्यापन होना तर्कसंगत है।
  1. सूफी काव्य धारा की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए जायसी के काव्य की समीक्षा कीजिए।
  • उत्तर: सूफी काव्य धारा की प्रमुख विशेषताएँ हैं:
    • ईश्वर से प्रेम की भावना
    • आत्मा की पवित्रता पर बल
    • सरल और सजीव भाषा का प्रयोग
    • रहस्यवादी दृष्टिकोण
      जायसी का काव्य सूफी तत्वों से भरपूर है। उनके प्रसिद्ध महाकाव्य “पद्मावत” में प्रेम, भक्ति और रहस्यवाद का संगम है। जायसी ने प्रेम को ईश्वर प्राप्ति का मार्ग माना है और उनके काव्य में सामाजिक और धार्मिक समरसता का संदेश है।
  1. रसखान की कृष्ण भक्ति पर प्रकाश डालते हुए उनकी भक्ति की विवेचना कीजिए।
  • उत्तर: रसखान की काव्य रचनाओं में कृष्ण भक्ति प्रमुख रूप से विद्यमान है। उन्होंने कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को बड़े ही सरल और सजीव शब्दों में व्यक्त किया है। उनकी रचनाओं में वृंदावन की प्राकृतिक सुंदरता और राधा-कृष्ण की लीलाओं का सुंदर चित्रण मिलता है। रसखान की भक्ति भावना में सजीवता और प्रेम की गहराई है, जो पाठकों को भाव विभोर कर देती है। उनका काव्य सरल भाषा और भावुकता से परिपूर्ण है, जिससे उनकी भक्ति की अनुभूति होती है।
  1. घनानंद के काव्य का भाव एवं शिल्प सौंदर्य को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  • उत्तर: घनानंद के काव्य में प्रेम और विरह के भाव प्रमुख हैं। उन्होंने अपने काव्य में नायिका के वियोग और प्रेम की अनुभूतियों को बड़े ही मार्मिक ढंग से प्रस्तुत किया है। उनके काव्य में भाषा की सरलता, शब्दों की मधुरता, और अलंकारों का सुंदर प्रयोग मिलता है। उदाहरण के लिए, उनके एक पद में विरहिणी नायिका की व्यथा का वर्णन इस प्रकार है:
    • “जो मैं कहूँ, तो सब जग हँसे, जो मैं रहूँ, तो पीर भरी।”
      इस प्रकार घनानंद के काव्य में भाव और शिल्प का अद्वितीय संयोग है।

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