Section-A (Very Short Answer Type Questions)
1. i. हाड़ोती में कौनसे जिले सम्मिलित हैं?
कोटा, बूंदी, बारां, और झालावाड़ जिले हाड़ोती क्षेत्र में सम्मिलित हैं।
ii. मृदा प्रदूषण क्या है?
मृदा प्रदूषण तब होता है जब हानिकारक रसायन, अपशिष्ट, या अन्य पदार्थ मृदा में प्रवेश करके उसकी गुणवत्ता और उर्वरता को नुकसान पहुंचाते हैं।
iii. चंबल घाटी परियोजना के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
चंबल घाटी परियोजना के मुख्य उद्देश्य सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, और विद्युत उत्पादन हैं।
iv. भीलों का प्रसिद्ध मेला कौनसा है?
भीलों का प्रसिद्ध मेला “गवरी” है।
Section-B (Short Answer Questions)
2. बनास एवं इसकी सहायक नदियों पर टिप्पणी कीजिए
बनास नदी राजस्थान की एक प्रमुख नदी है, जो अरावली पहाड़ियों से निकलती है और उत्तर-पूर्वी दिशा में बहते हुए माही नदी में मिलती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं बेड़च, खारी, और मंसी। बेड़च नदी उदयपुर और भीलवाड़ा जिलों में बहती है। खारी नदी अजमेर और नागौर जिलों में प्रवाहित होती है, और मंसी नदी चित्तौड़गढ़ और भीलवाड़ा जिलों में बहती है। बनास नदी का जल सिंचाई और पेयजल के रूप में महत्वपूर्ण है और इसके किनारे बसे क्षेत्रों की कृषि और आजीविका का प्रमुख स्रोत है।
3. राजस्थान में तांबा उत्पादन पर टिप्पणी कीजिए
राजस्थान तांबे के उत्पादन में भारत का एक प्रमुख राज्य है। यहाँ के खेतड़ी, सिंघाना, और डिगाना खदानें तांबे के प्रमुख स्रोत हैं। खेतड़ी खदान को एशिया की सबसे बड़ी तांबा खदान माना जाता है। तांबा उत्पादन के कारण राज्य में औद्योगिक विकास को भी बढ़ावा मिला है। तांबे का उपयोग विद्युत तार, उपकरण, और निर्माण सामग्री में किया जाता है, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
4. मरुस्थलीकरण पर टिप्पणी कीजिए
मरुस्थलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत उपजाऊ भूमि धीरे-धीरे बंजर भूमि में बदल जाती है। राजस्थान में मरुस्थलीकरण की समस्या गंभीर है, विशेषकर थार रेगिस्तान के क्षेत्र में। इसके मुख्य कारणों में अत्यधिक चराई, वनस्पति का विनाश, जलवायु परिवर्तन, और अनियंत्रित कृषि शामिल हैं। मरुस्थलीकरण से मिट्टी की उर्वरता घटती है, जिससे कृषि उत्पादन में कमी आती है और स्थानीय जनसंख्या की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए जल संरक्षण, वृक्षारोपण, और सतत कृषि पद्धतियों को अपनाना आवश्यक है।
5. गरासिया जनजाति के आर्थिक जीवन पर टिप्पणी कीजिए
गरासिया जनजाति राजस्थान की एक प्रमुख जनजाति है, जो मुख्य रूप से उदयपुर, सिरोही, और पाली जिलों में निवास करती है। इनका आर्थिक जीवन कृषि, पशुपालन, और मजदूरी पर आधारित है। गरासिया जनजाति के लोग सामान्यतः छोटे किसान होते हैं, जो अपने खेतों में मक्का, गेहूं, और बाजरा जैसी फसलों की खेती करते हैं। पशुपालन में गाय, भैंस, बकरी, और भेड़ का पालन करते हैं, जो उनकी आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसके अतिरिक्त, वे लकड़ी और अन्य प्राकृतिक संसाधनों का भी उपयोग करते हैं। उनके आर्थिक जीवन में पारंपरिक हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग भी एक भूमिका निभाते हैं।
Section-C (Long Answer Questions)
6. राजस्थान के जलवायु प्रदेशों को विस्तार से समझाइए
राजस्थान का जलवायु विविधतापूर्ण है, जो भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक विशेषताओं के आधार पर विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है। राजस्थान के जलवायु प्रदेशों को मुख्यतः चार भागों में विभाजित किया जाता है:
- अरावली क्षेत्र: अरावली पर्वत श्रृंखला राज्य के उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम तक फैली है और यह राजस्थान की जलवायु को प्रभावित करती है। इस क्षेत्र में मध्यम तापमान और कम वर्षा होती है। यहाँ की जलवायु अर्ध-शुष्क होती है।
- थार मरुस्थल: थार मरुस्थल राज्य के पश्चिमी भाग में स्थित है। यहाँ की जलवायु अत्यंत शुष्क है, तापमान अत्यधिक होता है, और वर्षा बहुत कम होती है। यह क्षेत्र धूल भरी आंधियों और ऊँचे तापमान के लिए प्रसिद्ध है।
- दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र: दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मुख्य रूप से हाड़ौती पठार आता है। यहाँ की जलवायु उप-आर्द्र है, और वर्षा की मात्रा थार मरुस्थल की तुलना में अधिक होती है। इस क्षेत्र में मानसूनी वर्षा प्रमुख होती है।
- उत्तर-पूर्वी क्षेत्र: उत्तर-पूर्वी राजस्थान में भरतपुर, अलवर, और धौलपुर जिलों का क्षेत्र आता है। यहाँ की जलवायु उप-शुष्क होती है, और वर्षा का प्रमुख स्रोत मानसून है। तापमान गर्मियों में अधिक और सर्दियों में कम होता है।
राजस्थान के जलवायु प्रदेशों का प्रभाव राज्य की कृषि, वनस्पति, और मानव जीवन पर स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। विभिन्न क्षेत्रों की जलवायु परिस्थितियों के अनुसार कृषि फसलों की विविधता, जल संसाधनों का वितरण, और जनजीवन की गतिविधियाँ प्रभावित होती हैं।
7. राजस्थान में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का भौगोलिक विश्लेषण कीजिए
राजस्थान में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का भौगोलिक विश्लेषण करते समय मुख्यतः सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, और बायोमास ऊर्जा को ध्यान में रखा जाता है।
- सौर ऊर्जा: राजस्थान भारत का सबसे प्रमुख सौर ऊर्जा उत्पादक राज्य है। यहाँ की जलवायु और भौगोलिक स्थिति सौर ऊर्जा के लिए अत्यंत अनुकूल है। राज्य के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी भागों में सबसे अधिक सौर विकिरण प्राप्त होता है। राज्य में जैसलमेर, बीकानेर, और जोधपुर जैसे क्षेत्रों में सौर ऊर्जा के बड़े प्रकल्प स्थापित किए गए हैं।
- पवन ऊर्जा: राजस्थान पवन ऊर्जा उत्पादन में भी अग्रणी राज्य है। यहाँ के थार मरुस्थल और अरावली पर्वत श्रृंखला के क्षेत्रों में पवन ऊर्जा के लिए उपयुक्त स्थल हैं। जैसलमेर, बाड़मेर, और जोधपुर जिलों में पवन ऊर्जा के बड़े संयंत्र स्थापित किए गए हैं, जो राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- बायोमास ऊर्जा: राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बायोमास ऊर्जा का भी महत्वपूर्ण योगदान है। कृषि अपशिष्ट, पशु गोबर, और वनस्पति अपशिष्ट का उपयोग बायोमास ऊर्जा के उत्पादन में किया जाता है। यह ऊर्जा स्रोत स्थानीय स्तर पर ऊर्जा की आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करता है और पर्यावरण के अनुकूल भी होता है।
राजस्थान में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के विकास से न केवल ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि हुई है, बल्कि यह राज्य की आर्थिक प्रगति और पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन स्रोतों के उपयोग से पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम हुई है और स्वच्छ ऊर्जा का प्रसार बढ़ा है। भविष्य में गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोतों का और अधिक विकास राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को संतुलित करने और सतत विकास को प्रोत्साहित करने में सहायक होगा।
Internal Assignment-2023-24
Program Name B. A. / B. Sc. I Year (Geography)
Paper Code – GE-02
(Geography of Rajasthan)
Iski exam kab Tak hogi