VMOU Internal Home Assignment B.A. Part-I Political Science (PS-02)

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B.A. Part-I Political Science (PS-02)

Max Marks: 30

Note: The Internal Assignment has been divided into three sections A, B, and C. Write answers as per the given instruction.
नोट : आंतरिक गृह कार्य में प्रश्नों को तीन खंडों में अ, ब और स के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक खंड के निर्देशानुसार प्रश्नों का उत्तर दीजिए।


Section-A / खंड-अ

(Very Short Answer Type Questions) (अति लघु उत्तर वाले प्रश्न)

Section-A contains 6 (six) Very Short Answer Type Questions (one word, one sentence, and definitional type). Students have to attempt all questions. Each question will be of 1 (one) mark and the maximum word limit will be 30 words. Maximum marks of Section-A will be 6 (six) marks. खंड – अ में 6 (छः) अति लघु उत्तर वाले प्रश्न (एक शब्द, एक वाक्य और पारिभाषिक प्रकार के) होंगे। छात्रों को सभी सवालों का उत्तर करना है। प्रत्येक प्रश्न 1 (एक) अंक का होगा और अधिकतम शब्द सीमा 30 शब्द होगी। खंड – अ का अधिकतम अंक 6 (छः) अंक होगा।

  1. राज्य की उत्पत्ति के बारे में मनु के विचार क्या हैं?
  • मनु के अनुसार राज्य की उत्पत्ति दिव्य और सामाजिक अनुबंध पर आधारित है।
  1. कौटिल्य के अनुसार राज्य के सप्तांग कौन-कौन से हैं?
  • राजा, मंत्री, जनपद, दुर्ग, कोष, दंड और मित्र।
  1. तिलक द्वारा किन विरोध के साधनों का प्रतिपादन किया गया था?
  • तिलक ने स्वदेशी, बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा और सत्याग्रह को अपनाया।
  1. सुमेल कीजिए: i) Satyarth Prakash (सत्यार्थ प्रकाश) – H) Dayanand Saraswati (दयानंद सरस्वती)
    ii) Arthshastra (अर्थशास्त्र) – C) Kautilya (कौटिल्य)
    iii) My Experiments with Truth (सत्य के साथ मेरे प्रयोग) – B) Gandhi (गाँधी)
    iv) Geeta Rahasya (गीता रहस्य) – E) Tilak (तिलक)
    v) Discovery of India (भारत की खोज) – D) Nehru (नेहरू)
    vi) The Buddha and His Dharma (दि बुद्धा एंड हिज़ धर्मा) – G) Ambedkar (आंबेडकर)
    vii) From Socialism to Sarvoday (फ्रॉम सोशलिज्म टू सर्वोदय) – F) Jai Prakash Narayan (जय प्रकाश नारायण)
    viii) Radical Humanism (रेडिकल ह्यूमैनिज्म) – A) M.N. Roy (एम.एन. रॉय)
  2. जे.एल. नेहरू द्वारा प्रतिपादित लोकतांत्रिक समाजवाद का सिद्धांत क्या है?
  • यह समाजवाद और लोकतंत्र का मिश्रण है, जिसमें आर्थिक समानता और राजनीतिक स्वतंत्रता को महत्व दिया गया है।
  1. राजनीति के आध्यात्मीकरण के बारे में गांधीजी के क्या विचार थे?
  • गांधीजी के अनुसार राजनीति में नैतिकता और सत्य का पालन अनिवार्य है।

Section-B / खंड-ब

(Short Answer Type Questions) (लघु उत्तर वाले प्रश्न)

Section-B contains 5 (five) Short Answer Type Questions. Students have to answer any 4 (four) questions. Each question will be of 3 (three) marks and the maximum word limit will be 150 words. Maximum marks of Section-B will be 12 (twelve) marks. खंड – ब में 5 (पांच) लघु उत्तर प्रकार के प्रश्न होंगे। छात्रों को किसी भी 4 (चार) सवालों का उत्तर देना होगा। प्रत्येक प्रश्न 03 (तीन) अंक का होगा और अधिकतम शब्द सीमा 150 शब्द होगी। खंड – ब का अधिकतम अंक 12 (बारह) होगा।

  1. प्राचीन भारतीय विचारकों द्वारा प्रतिपादित ‘मंडल’ सिद्धांत क्या है? इसके अंतर्गत विवेचित विभिन्न प्रकार के राज्यों का वर्णन कीजिए।

मंडल सिद्धांत कौटिल्य द्वारा प्रतिपादित एक कूटनीतिक सिद्धांत है, जो राज्य संबंधों और कूटनीति के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें राज्य को आठ परिधियों में विभाजित किया गया है, जो एक के बाद एक केंद्रित होते हैं। ये परिधियाँ मित्र, शत्रु, तटस्थ, मध्यस्थ, आदि राज्यों का प्रतिनिधित्व करती हैं। इस सिद्धांत के अनुसार, राज्य को अपने आस-पास के राज्यों के साथ गठजोड़ और संबंधों को मजबूती से बनाना चाहिए ताकि वह अपनी सुरक्षा और हितों को सुरक्षित रख सके।

  1. प्राचीन भारतीय राजनीतिक चिंतन में वर्णित ‘षड्गुण्य’ नीति की संक्षेप में विवेचना कीजिए।

षड्गुण्य नीति कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित है और इसमें छह प्रकार की नीतियाँ शामिल हैं:

  • संधि: मित्रता या संधि का प्रस्ताव।
  • विग्रह: युद्ध की नीति।
  • आसन: निष्क्रियता की नीति।
  • यान: सैन्य अभियान।
  • संस्रय: गठबंधन।
  • द्वैधिभाव: दोहरी नीति।

इन नीतियों का प्रयोग राजा को विभिन्न राजनीतिक और कूटनीतिक परिस्थितियों में करना चाहिए ताकि राज्य के हितों की रक्षा हो सके।

  1. राजतंत्र पर दयानंद सरस्वती के विचार क्या थे?

दयानंद सरस्वती राजतंत्र के विरोधी थे। उनका मानना था कि राजतंत्र में सत्ता का केंद्रीकरण होता है, जिससे भ्रष्टाचार और अत्याचार बढ़ता है। उन्होंने वेदों के आधार पर एक आदर्श राज्य की परिकल्पना की, जिसमें जनप्रतिनिधियों द्वारा चुनी गई सरकार हो और सत्ता का विकेंद्रीकरण हो। उनका उद्देश्य था कि हर व्यक्ति स्वतंत्र हो और समाज में न्याय और समानता हो।

  1. गांधी द्वारा प्रतिपादित ‘रोटी के लिए श्रम’ सिद्धांत का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

‘रोटी के लिए श्रम’ सिद्धांत गांधीजी के आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन के विचार पर आधारित है। उनके अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी रोटी खुद कमाने के लिए श्रम करना चाहिए। यह सिद्धांत सामाजिक समानता और आर्थिक न्याय की ओर इशारा करता है, जिसमें हर व्यक्ति को श्रम का महत्व समझाया गया है और दूसरों पर निर्भर न रहने की प्रेरणा दी गई है।

  1. तिलक द्वारा प्रतिपादित स्वराज से आप क्या समझते हैं?

स्वराज का अर्थ तिलक के अनुसार था ‘अपना शासन’। वे मानते थे कि भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्र होकर आत्मनिर्भर और स्वशासी होना चाहिए। तिलक का मानना था कि भारतीयों को अपनी सरकार और अपने निर्णय खुद लेने चाहिए। उनके लिए स्वराज केवल राजनीतिक स्वतंत्रता नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता भी था।


Section-C / खंड-स

(Long Answer Questions) (दीर्घ उत्तर वाले प्रश्न)

In Section-C students have to answer any 2 (two) questions. Each question will be of 6 (six) marks and the maximum word limit will be 500 words. Maximum marks of Section-C will be 12 (twelve) marks. खंड – स में छात्रों को किसी भी 2 (दो) सवालों का उत्तर देना होगा। प्रत्येक प्रश्न 06 (छः) अंक का होगा और अधिकतम शब्द सीमा 500 शब्द होगी। खंड – स का अधिकतम अंक 12 (बारह) होगा।

  1. राजपद पर मनु के विचारों की विवेचना कीजिए।

मनु ने अपने धर्मशास्त्र में राजा और राजपद के महत्व पर विस्तार से चर्चा की है। उनके अनुसार, राजा ईश्वर का प्रतिनिधि होता है और उसका मुख्य कर्तव्य प्रजा की रक्षा और न्याय करना होता है। मनु ने राजा के कर्तव्यों, अधिकारों और व्यवहार की विस्तार से व्याख्या की है।

राजा का कर्तव्य:
मनु के अनुसार, राजा का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है धर्म की रक्षा करना। उसे न्यायपूर्ण और निष्पक्ष होना चाहिए और समाज में धर्म और कानून का पालन सुनिश्चित करना चाहिए। राजा को प्रजा के सुख-दुःख का ख्याल रखना चाहिए और उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।

राजा के अधिकार:
मनु ने राजा को व्यापक अधिकार दिए हैं। उसे कानून बनाने, सेना का संचालन करने, कर वसूलने, और न्याय करने का अधिकार है। राजा को प्रजा के हितों की रक्षा के लिए इन अधिकारों का उपयोग करना चाहिए।

राजा का व्यवहार:
मनु ने राजा के आचरण के लिए उच्च मानदंड स्थापित किए हैं। राजा को अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठकर राज्य के हितों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उसे विनम्र, धैर्यशील, और संयमी होना चाहिए। राजा को न केवल अपने परिवार और दरबारियों के प्रति, बल्कि प्रजा के प्रति भी निष्पक्ष और न्यायपूर्ण रहना चाहिए।

**राजा और

धर्म:**
मनु के अनुसार, राजा को धर्म का पालन करना चाहिए और अपने आचरण में धार्मिक मूल्यों को शामिल करना चाहिए। उसे वेदों का अध्ययन करना चाहिए और अपने निर्णयों में धर्मशास्त्रों का पालन करना चाहिए।

इस प्रकार, मनु ने राजपद को एक पवित्र और उच्चतम स्थान पर रखा है, जिसमें राजा को धर्म, न्याय, और प्रजा के कल्याण के लिए कार्य करना चाहिए।

  1. भारत में अंग्रेजों का शासन, स्वदेशी, बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा पर तिलक के विचारों का परीक्षण कीजिए।

बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने अंग्रेजी शासन के खिलाफ भारतीयों को जागरूक और संगठित किया। उनके विचार निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित थे:

अंग्रेजों का शासन:
तिलक अंग्रेजों के शासन को भारतीय समाज और संस्कृति के लिए हानिकारक मानते थे। उनका मानना था कि अंग्रेजी शासन ने भारतीयों की स्वतंत्रता छीन ली है और उन्हें दासता की स्थिति में डाल दिया है। उन्होंने ब्रिटिश शासन के आर्थिक शोषण, सांस्कृतिक उपनिवेशवाद और सामाजिक अन्याय की कड़ी आलोचना की।

स्वदेशी:
तिलक स्वदेशी आंदोलन के प्रबल समर्थक थे। उनके अनुसार, भारतीयों को विदेशी वस्त्रों और वस्तुओं का बहिष्कार करना चाहिए और स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने भारतीय उद्योगों और कारीगरों को प्रोत्साहित किया और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया।

बहिष्कार:
तिलक ने बहिष्कार को एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने भारतीयों को अंग्रेजी वस्त्रों, स्कूलों, और सरकारी सेवाओं का बहिष्कार करने का आह्वान किया। उनका मानना था कि बहिष्कार से अंग्रेजी शासन की आर्थिक नींव कमजोर होगी और भारतीयों की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

राष्ट्रीय शिक्षा:
तिलक राष्ट्रीय शिक्षा के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज में जागरूकता और आत्मनिर्भरता लाना चाहिए। उन्होंने भारतीय संस्कृति, इतिहास और साहित्य पर आधारित शिक्षा प्रणाली का समर्थन किया।

निष्कर्ष:
तिलक के विचारों का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज को जागरूक और संगठित करना था। उन्होंने अंग्रेजों के शासन के खिलाफ जनजागरण किया और स्वदेशी, बहिष्कार और राष्ट्रीय शिक्षा के माध्यम से भारतीयों में आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय गर्व की भावना जगाई।

  1. गांधी द्वारा प्रतिपादित सत्याग्रह संबंधी विचारों की विवेचना कीजिए।

महात्मा गांधी ने सत्याग्रह को एक अहिंसक प्रतिरोध की विधि के रूप में प्रस्तुत किया, जिसका उद्देश्य सत्य और न्याय के लिए संघर्ष करना था। गांधीजी के सत्याग्रह संबंधी विचार निम्नलिखित हैं:

सत्य और अहिंसा:
सत्याग्रह की बुनियाद सत्य और अहिंसा पर आधारित है। गांधीजी के अनुसार, सत्याग्रह का मुख्य उद्देश्य सत्य की खोज और अहिंसा के माध्यम से अन्याय का विरोध करना है। सत्याग्रह का मतलब है सत्य के प्रति आग्रह, जिसमें सत्य के लिए किसी भी प्रकार का त्याग और संघर्ष शामिल है।

आध्यात्मिक और नैतिक आधार:
सत्याग्रह एक आध्यात्मिक और नैतिक आंदोलन है। गांधीजी ने इसे आत्मशुद्धि और आत्मबलिदान का साधन माना। सत्याग्रह में शामिल व्यक्ति को नैतिक रूप से उच्च और ईमानदार होना चाहिए। उसे अपने विरोधियों के प्रति भी प्रेम और करुणा का भाव रखना चाहिए।

अहिंसक प्रतिरोध:
सत्याग्रह का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है अहिंसक प्रतिरोध। गांधीजी ने हिंसा को न केवल नैतिक रूप से गलत माना, बल्कि इसे प्रभावहीन भी माना। उनके अनुसार, अहिंसक प्रतिरोध से विरोधी को उसकी गलतियों का अहसास होता है और उसमें सुधार की संभावना बढ़ती है।

आर्थिक और सामाजिक सुधार:
सत्याग्रह का उद्देश्य केवल राजनीतिक स्वतंत्रता प्राप्त करना नहीं था, बल्कि आर्थिक और सामाजिक सुधार भी था। गांधीजी ने सत्याग्रह के माध्यम से अस्पृश्यता, जातिवाद, और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी संघर्ष किया। उन्होंने स्वदेशी, खादी, और ग्राम स्वराज के माध्यम से आर्थिक स्वावलंबन पर जोर दिया।

सत्याग्रह के माध्यम:
सत्याग्रह के विभिन्न माध्यम हो सकते हैं जैसे असहयोग, बहिष्कार, धरना, और भूख हड़ताल। इन सभी माध्यमों का उद्देश्य अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण और नैतिक विरोध करना है।

निष्कर्ष:
गांधीजी के सत्याग्रह के विचारों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। उन्होंने अहिंसा और सत्य के माध्यम से समाज में नैतिक और आध्यात्मिक जागरूकता लाई। सत्याग्रह न केवल एक राजनीतिक आंदोलन था, बल्कि एक नैतिक और आध्यात्मिक आंदोलन भी था, जिसने दुनिया भर में अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वालों को प्रेरित किया।

  1. सम्पूर्ण क्रांति पर जय प्रकाश नारायण के विचारों की विवेचना कीजिए।

जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने सम्पूर्ण क्रांति का नारा दिया, जो एक व्यापक और सर्वांगीण समाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन का अभियान था। उनके विचार निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित थे:

राजनीतिक क्रांति:
जेपी ने भ्रष्ट और अप्रजातांत्रिक शासन प्रणाली के खिलाफ आवाज उठाई। उनका मानना था कि राजनीतिक तंत्र को पारदर्शी, जवाबदेह और जनता के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ और राजनीतिक सुधारों के लिए जन आंदोलन का आह्वान किया।

सामाजिक क्रांति:
जेपी ने सामाजिक समानता और न्याय पर जोर दिया। उन्होंने जाति व्यवस्था, अस्पृश्यता और अन्य सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया। उनका मानना था कि समाज में हर व्यक्ति को समान अवसर और अधिकार मिलने चाहिए।

आर्थिक क्रांति:
जेपी ने आर्थिक असमानता को समाप्त करने और समतामूलक समाज की स्थापना पर जोर दिया। उन्होंने स्वदेशी, कुटीर उद्योगों और ग्रामीण विकास पर बल दिया। उनका मानना था कि आर्थिक स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के बिना राजनीतिक स्वतंत्रता का कोई महत्व नहीं है।

शैक्षिक क्रांति:
जेपी ने शिक्षा को समाजिक परिवर्तन का एक महत्वपूर्ण साधन माना। उन्होंने शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया, जिसमें नैतिक और मूल्य आधारित शिक्षा का समावेश हो। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार प्राप्त करना नहीं, बल्कि सामाजिक और नैतिक जागरूकता लाना भी होना चाहिए।

आध्यात्मिक क्रांति:
जेपी ने आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों पर जोर दिया। उनका मानना था कि बिना नैतिक और आध्यात्मिक जागरूकता के कोई भी क्रांति सफल नहीं हो सकती। उन्होंने व्यक्तिगत और सामूहिक नैतिकता के उत्थान पर बल दिया।

निष्कर्ष:
सम्पूर्ण क्रांति का उद्देश्य केवल सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि समाज के सभी क्षेत्रों में व्यापक और सार्थक परिवर्तन लाना था। जयप्रकाश नारायण के विचारों ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी और जन जागरूकता को बढ़ावा दिया। उनका सम्पूर्ण क्रांति का नारा आज भी सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन के लिए प्रेरणादायक है।


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